10 देसी फसलें जो कम पानी में उगाई जा सकती हैं – सूखे इलाके के किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प

परिचय

आज के समय में जल संकट और अनियमित बारिश से किसान सबसे ज़्यादा परेशान हैं। ऐसे में यह जानना बहुत ज़रूरी है कि कम पानी में कौन-सी देसी फसलें उगाई जा सकती हैं, जो कम लागत में भी अच्छा उत्पादन और मुनाफा दे सकें। भारत के कई सूखे इलाकों (जैसे – बुंदेलखंड, राजस्थान, विदर्भ) में किसान इन फसलों को अपनाकर आज अच्छी कमाई कर रहे हैं।

10 देसी फसलें जो कम पानी में उगाई जा सकती हैं

क्यों जरूरी है कम पानी में फसल उगाना?

  • बारिश समय पर नहीं होती
  • ट्यूबवेल या बोरिंग की लागत बढ़ गई है
  • बिजली और डीज़ल का खर्चा अधिक है
  • जल संरक्षण जरूरी है
  • सिंचाई की सुविधा सबके पास नहीं है

1. बाजरा (Pearl Millet) – देसी और ताकतवर

बाजरा
  • बहुत कम पानी में भी उग जाती है
  • 60 से 80 दिनों में तैयार
  • गर्मी और सूखा सहन करने वाली फसल
  • अनाज के साथ-साथ पशु चारे के लिए भी उपयोगी

✅ औसत पैदावार: 10–15 क्विंटल/एकड़
✅ पानी की ज़रूरत: सिर्फ 2 से 3 सिंचाई

2. ज्वार (Sorghum) – सूखे का साथी

  • महाराष्ट्र और मध्य भारत में बहुत प्रचलित
  • सूखे में भी अच्छी उपज देती है
  • जानवरों के लिए चारा और इंसानों के लिए अनाज दोनों

✅ अवधि: 90–100 दिन
✅ लाभ: प्रति एकड़ ₹20,000 तक

3. चना (Gram) – कम पानी, ज्यादा मुनाफा

  • रबी मौसम की सबसे कम पानी वाली दाल
  • मिट्टी की नमी से ही उत्पादन हो सकता है
  • बाजार में मांग हमेशा बनी रहती है

✅ लागत: ₹8,000–₹10,000
✅ मुनाफा: ₹30,000–₹50,000 प्रति एकड़

4. लहसुन – कम सिंचाई में भारी कमाई

  • मिट्टी में हल्की नमी बनी रहे तो काफी
  • महंगी फसल, भाव ₹80–₹200/किलो तक जाता है
  • भंडारण के बाद बेचने पर ज्यादा लाभ

✅ फसल अवधि: 90 से 120 दिन
✅ सिंचाई: 3–4 बार

5. मिर्च – कम पानी में तगड़ी फसल

  • गर्म इलाकों में बढ़िया उत्पादन
  • पानी कम लेकिन ध्यान की जरूरत
  • एक ही पौधे से कई बार तोड़ाई होती है

✅ उत्पादन: 15–25 क्विंटल/एकड़
✅ लाभ: ₹40,000+ प्रति एकड़

6. मूंग दाल – सूखे में भी उगती है

mung dal
  • कम लागत वाली दाल
  • किसान इसे खरीफ और जायद दोनों में लगाते हैं
  • 60 से 70 दिन में तैयार

✅ सिंचाई: 1–2 बार पर्याप्त
✅ मुनाफा: ₹20,000 तक प्रति एकड़

7. प्याज़ – जल बचत के साथ लाभ

  • प्याज़ की खेती ड्रिप सिंचाई से कम पानी में भी की जाती है
  • अगर बीज सही और रोगमुक्त हों, तो उपज अच्छी होती है

✅ सिंचाई: 4–5 बार
✅ फसल अवधि: 100–120 दिन

8. तिल (Sesame) – देसी तेल का खजाना

  • सूखा सहन करने वाली फसल
  • बाजार में ऑर्गेनिक तिल की भारी मांग
  • उन्नत किस्में जैसे – ‘टीकेजी 22’ और ‘राज तिल 1’

✅ लाभ: तेल मिलाकर ₹30,000/एकड़ तक
✅ सिंचाई: 1–2 बार

9. अरहर दाल – लंबी लेकिन टिकाऊ फसल

  • एक बार बोकर छोड़ सकते हैं, पानी बहुत कम चाहिए
  • मिट्टी की नमी में भी बढ़िया उत्पादन
  • खेत में हवा चलने से खुद परागण हो जाता है

✅ फसल अवधि: 5–6 महीने
✅ उत्पादन: 8–12 क्विंटल/एकड़

10. सहजन (Drumstick) – कम पानी में बहुपयोगी पेड़

  • एक बार लगाकर कई साल उपज ले सकते हैं
  • पत्ते, फल और फूल तीनों बिकते हैं
  • जैविक खेती में मांग ज्यादा

✅ सिंचाई: सिर्फ शुरुआती 2–3 महीने
✅ लाभ: 1 पेड़ से 4–5 किलो तक फल हर सीजन

निष्कर्ष

ऊपर दी गई ये सभी 10 देसी फसलें न सिर्फ सूखे या पानी की कमी वाले क्षेत्रों में टिकाऊ हैं, बल्कि ये किसान को अच्छा लाभ भी देती हैं। अगर आप खेती से मुनाफा कमाना चाहते हैं और पानी की चिंता है, तो इन विकल्पों को ज़रूर अपनाइए।

अगर आप मेहनत करेंगे, अच्छी रिसर्च के साथ अनुशासन में काम करेंगे, तो कम पानी में भी खेती को मुनाफे का साधन बना सकते हैं।

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