भारत में पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन ने खेती के तरीकों को बदलने की आवश्यकता पैदा कर दी है। ऐसे में ड्रिप इरिगेशन, जिसे हिंदी में टपक सिंचाई प्रणाली कहते हैं, किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का एक बेहतरीन विकल्प है।
इस लेख में हम जानेंगे:
- ड्रिप इरिगेशन क्या है?
- यह कैसे काम करता है?
- इसके क्या फायदे हैं?
- इससे किसान कैसे मुनाफा बढ़ा सकते हैं?
ड्रिप इरिगेशन क्या है?
परिभाषा
ड्रिप इरिगेशन एक ऐसी सिंचाई तकनीक है जिसमें पानी को बहुत धीमी गति से बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है। इससे पानी की बर्बादी नहीं होती और पौधे को सटीक मात्रा में नमी मिलती है।
उद्देश्य
- जल संरक्षण करना
- उत्पादन में वृद्धि लाना
- खर्चों में कमी लाना
ड्रिप इरिगेशन कैसे काम करता है?
ड्रिप इरिगेशन प्रणाली के मुख्य भाग:
- जल स्रोत (बोरवेल/टंकी)
- फिल्टर यूनिट (रेत या स्क्रीन फ़िल्टर)
- मुख्य पाइप लाइन और सब-पाइप्स
- ड्रिपर/एमिटर (पानी टपकाने वाले नोजल)
- कंट्रोल वाल्व और टाइमर
यह प्रणाली पौधों को जड़ तक जरूरत के अनुसार पानी देती है जिससे 70% तक जल की बचत संभव होती है।
ड्रिप इरिगेशन के लाभ

1. जल संरक्षण
ड्रिप प्रणाली से पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 40–70% तक पानी की बचत होती है।
2. उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार
नमी नियंत्रित रहने से पौधों की ग्रोथ नियमित होती है जिससे फल/सब्ज़ी का आकार, रंग और स्वाद बेहतर होता है।
3. समय और मेहनत की बचत
डिजिटल टाइमर और ऑटोमेशन से सिंचाई में मेहनत कम लगती है।
4. उर्वरक की बचत (फर्टिगेशन)
पानी के साथ उर्वरक भी दिया जा सकता है जिससे 30-50% तक बचत होती है।
5. सीमांत किसानों के लिए अनुकूल
कम जमीन और सीमित संसाधनों में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
ड्रिप इरिगेशन से मुनाफा कैसे बढ़ाएं?
1. कम पानी में अधिक क्षेत्र की सिंचाई
पानी की सीमित उपलब्धता में भी ज़्यादा खेतों की सिंचाई संभव होती है।
2. उच्च-मूल्य वाली फसलें उगाएँ
ड्रिप सिस्टम सब्ज़ियों, फूलों, और फलों जैसे टमाटर, खीरा, अनार, अंगूर आदि के लिए अधिक उपयुक्त है।
3. ऑर्गेनिक खेती को अपनाएं
ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग और कीमत दोनों अधिक होती हैं।
4. सरकारी सब्सिडी का लाभ लें
PDMC योजना के तहत 50–90% तक सब्सिडी दी जाती है जिससे लागत काफी कम हो जाती है।
5. मल्चिंग के साथ प्रयोग
मल्चिंग से नमी बनी रहती है और खरपतवार नहीं उगते, जिससे उत्पादन और बढ़ता है।
एक उदाहरण: मुनाफे का विश्लेषण
विवरण | पारंपरिक सिंचाई | ड्रिप सिंचाई |
---|---|---|
जल उपयोग | 90,000 लीटर | 45,000 लीटर |
उर्वरक खर्च | ₹22,000 | ₹15,000 |
मजदूरी | ₹18,000 | ₹9,000 |
उत्पादन | 30 टन | 40 टन |
बिक्री मूल्य (₹25/kg) | ₹7.5 लाख | ₹10 लाख |
शुद्ध लाभ | ~₹1.6 लाख | ~₹4 लाख |

ड्रिप इरिगेशन कैसे लगवाएं?
- कृषि विभाग से संपर्क करें
- प्रमाण पत्र (आधार, खसरा, बैंक पासबुक) तैयार रखें
- ड्रिप कंपनी से डिज़ाइन बनवाएं
- आवेदन भरें और सब्सिडी पंजीकरण कराएं
- इंस्टॉलेशन के बाद निरीक्षण कराएं
महत्वपूर्ण सुझाव और सावधानियाँ
- हर 10 दिन में फ़िल्टर की सफाई करें
- ड्रिपर चोक न हो, इसके लिए फ्लशिंग करें
- पानी की गुणवत्ता पर नज़र रखें
- समय-समय पर सिस्टम की टेस्टिंग कराएं
निष्कर्ष
ड्रिप इरिगेशन न केवल आधुनिक कृषि का हिस्सा है, बल्कि यह भविष्य की आवश्यकता भी है। यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल है, लागत में कमी लाती है और किसानों की आमदनी को बढ़ाती है।
याद रखें:
सही तकनीक + सरकारी सहयोग + मेहनत = अधिक मुनाफा